दैनिक अवंतिका उज्जैन।
इस बार 27 मई को शनि जयंती पर विशेष संयोग बन रहा है। इसी दिन भौमवती अमावस्या भी आ रही है। धर्म की दृष्टि से ज्येष्ठ मास वर्ष का सबसे महत्वपूर्ण मास माना जाता है। इस मास में कई बड़े पर्व व तिथियां आती है जिसमें दान-पुण्य करने का कई गुना फल मिलता है।
शनि जयंती पर उज्जैन के अति प्राचीन नवग्रह शनि मंदिर त्रिवेणी इंदौर रोड पर मुख्य आयोजन होंगे। वहीं नई पेठ व ढाबा रोड स्थित शनि मंदिरों में भी शनि देव का अभिषेक-पूजन, श्रृंगार, भोग व आरती के आयोजन संपन्न होंंगे। दर्शन के लिए भक्तों का तांता लगेगा। ज्योतिषाचार्य पंडित अमर डब्बावाला ने बताया कि 27 तारीख को आ रही शनि जयंती शनि महाराज को खुश करने का दिन है। इस दिन लोग भूमि से जुड़े दोषों की निवृत्ति के लिए पंडितों की मदद से वैदिक उपचार करवा सकते हैं। पंडितों की माने तो इस दिन माता मंगल चंडिका का पूजन-पाठ भूमि के बाधा-बंधन दोष को दूर करने में सहायक माना गया है।
जिन राशियों पर शनि की साढ़ेसाती
ढैय्या वे विशेष पूजन-पाठ करें
यह भी स्पष्ट है कि गत 29 मार्च को शनि ग्रह कुंभ राशि से मीन राशि में प्रवेश कर चुका है। इसका प्रभाव विभिन्न राशियों पर पड़ रहा है। उन लोगों की कुंडली में शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या, महादशा या अंतर्दशा चल रही है। ऐसे में उन्हें विशेष रूप से शनि देव की प्रसन्नता के लिए पूजन-पाठ, दान-पुण्य आदि करना चाहिए। शनि स्तोत्र, शनि स्तवराज, शनि अष्टक, शनि चालीसा, शनि वज्र पिंजर कवच और महाकाल शनि मृत्युंजय स्तोत्र का पाठ भी करवा सकते हैं।
शनि के दान का भी विशेष महत्व
इससे जीवन में दूर होती है बाधाए
साथ ही शनि से संबंधित वस्तुओं का दान करना भी लाभदायक माना गया है। जन्म कुंडली में यदि शनि की स्थिति निम्न राशि में है, या शनि पापाक्रांत है, तो इन उपायों से विशेष लाभ मिल सकता है। इससे जीवन की बाधाएं दूर होती हैं और अनुकूल परिस्थितियां बनती हैं।
